चन्द्रगुप्त मौर्य का समय :- 322 ई. पू. से 298 ई.पू.
मौर्यो की उतप्ति के कई मत माने जाते हैं जो निम्न प्रकार हैं :-
(ब्राहमण साहित्य अर्थात पुरानो में माना हैं! )
(बौधग्रन्थ में "दिव्यवदान" नामक पुस्तक में बिन्दुसार और अशोक दोनो का वर्णन मिलता हैं जिसमे मौर्यों को क्षत्रिय माना हैं )
(जैन स्रोत में "हेमचन्द्र"ने एक पुस्तक लिखी जिसका नाम "परिशिष्ट्पर्वन" हैं इसमें भी मौर्यों को क्षत्रीय माना हैं )
{परिशिष्ट्पर्वन में मोर पालने वालो को मौर्य कहा हैं }
(अर्थात मौर्य साम्राज्य की जानकारी हमें कहाँ कहाँ मिलती हैं )
1.अर्थशास्त्र से मिलती हैं जिसकी रचना चाणक्य ने की थी
2.इंडिका से जिसकी रचना मैग्स्थनिज ने की
3.रुद्रदामन के जूनागढ़ अभिलेख से
4.मुद्राराक्षत से
5.अशोक के अभिलेख से
6.बौद्ध व् जैन ग्रंथो से
7.पुराणों से
8.तथा जस्टिन ,प्लूटार्क ,एरियन जैसे महान वैज्ञानिक भी अपने-अपने मत देते हैं
(अर्थात मौर्य आने वाले थे तब भारत की स्थिति कैसी थी )
कहानी :- 323 ई. पू. बेबीलोन में सिकन्दर लोदी की म्रत्यु के बाद राज्य के बंटवारे के लिए सेनापतियो के बीच लड़ाई झगड़े होते रहते थे सिकन्दर लोदी के दो मुख्य सेनापति थे 1.सेल्यूकस 2.निर्याकस
इनमे से आखिर में सेल्यूकस को राज्य मिला
लड़ाई के बाद संधि हुई :- 1 बेबीलोन की संधि 2. ट्रिपरेडिस की संधि ( 321 ई . पू.)
उस समय मगध का राजा घनानंद था घनानंद ने जनता पर खूब अत्याचार किया था
चाणक्य
चाणक्य महान बुद्धि का पंडित था
चाणक्य के पिता का नाम :- महर्षि चणक
चाणक्य का बचपन का नाम :-विष्णुगुप्त
चाणक्य के अन्य नाम :- कौटिल्य ,अंशुल ,अंशु ,अंगुल ,वात्सायन ,कात्यायन
पुराणों में कौटिल्य को "द्विजर्षभ" कहा हैं द्विजर्षभ का मतलब श्रेष्ट ब्राहमण होता हैं
भारत का मैकियावैली भी चाणक्य को कहा गया हैं
चाणक्य की रचना :- अर्थशास्त्र =>>> जो राजनीती और प्रशासन पर आधारित हैं
अर्थशास्त्र में 15 प्राधिकरण , 130 प्रकरण , 6000 शलोक हैं
अन्य:-
→"सप्तांग सिद्धांत चाणक्य ने दिए
→ तक्षशिला के आचार्य थे
↓↓↓↓↓↓अर्थशास्त्र में क्या लिखा हैं ↓↓↓↓↓↓
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अब मुख्य टॉपिक पर आते हैं और चन्द्रगुप्त मौर्य और उनके वंशज के बारे में जानते हैं
चन्द्रगुप्त मौर्य
शुरुआत एक कहानी से :- घनानंद के दरबार में चाणक्य रहते थे घनानंद ने सबके सामने चाणक्य को अपमानित किया तब चाणक्य ने उसे समूल नष्ट करने का प्रण लिया और वहां से विब्ध्याचल के जंगलो में चले गए यहाँ उनको "राजकिलम" नाम का बालक खेलता हुआ मिला जो उन्हें कुशल कार्य का बालक लगा वो ही बालक आगे जाकर चन्द्रगुप्त मौर्य कहलाया अब चाणक्य ने चन्द्रगुप्त मौर्य को 1000 कर्शापट देकर खरीद लिया वहां से बालक को तक्षशिला लाते हैं और 7 से 8 वर्ष तक शिक्षा देते हैं और चन्द्रगुप्त मौर्य ने मात्र 25 वर्ष की कम उम्र में मगध पर आक्रमण किया लेकिन पराजय हुई उस पराजय से सीख लेकर बाद में उन्होंने दुबारा तैयारी शुरू की
चन्द्रगुप्त मौर्य की पहली पराजय मगध पर आक्रमण के समय हुई (बौद्ध और जैन ग्रन्थ यह बताते हैं )
मगध पर विजय :- उत्तर पच्छिम (पंजाब और सिंध ) की और से आक्रमण किया उस समय पपर्वतक नामक राजा की सहायता ली
घनानंद नन्दों का अंतिम शाषक था उसको और उसके सेनापति भद्दसाल को मरकर मगध का राज्य लिया (323 ई.पू.)
=>> राजधानी :- पाटलिपुत्र
=>> राजकीय चिन्ह :- मयूर
=>> भाषा:- पालि
=>> शिक्षा का केंद्र :- तक्षशिला
=>> भारत भूमि पर स्थापित सबसे बड़े साम्राज्य का निर्माता -चन्द्रगुप्त मौर्य
=>> इस साम्राज्य को राजनितिक एकता व प्रशासनिक व्यवस्था में बांधने का श्रेय -चन्द्रगुप्त मौर्य
=>> भारतवर्ष का प्रथम सम्राट - चन्द्रगुप्त मौर्य
साम्राज्य विस्तार
↓↓इन राज्यों में फैला हुआ था ↓↓
=> उत्तर पूर्व - हिन्दुकुश पर्वत (पाकिस्तान )
=> उत्तर - कश्मीर
=> नेपाल
=> बांग्लादेश
=> अन्ध्राप्रदेश
=> कर्नाटक
=> सौराष्ट्र
यह कुल क्षेत्रफल 55 लाख वर्ग किलोमीटर था )
ध्यान दे :- मौर्य साम्राज्य भारत में इन जगह पर नहीं फैला हुआ था
1. पूर्वोतर भारत (सिक्किम ,असम, अरुणाचल प्रदेश ,मिजोरम ,मणिपुर , मेघालय ,त्रिपुरा और नागालैंड
2. केरल
3. तमिलनाडु
याद रहे :-प्रथम सम्राट -चन्द्रगुप्त मौर्य लेकिन राष्ट्रिय सम्राट अशोक था
सेल्यूकस से युद्ध (305 ई.पू. से 304 ई. पू.)
चन्द्रगुप्त मौर्य का राजकार्य अच्छा चल रहा था क्योंकि उसका प्रधानमंत्री चाणक्य था जो एक बहुत बड़ा विद्वान था अब 305 ई.पू. से 304 ई. पू. में सेल्यूकस ने हमला किया चन्द्र्गुप्त मौर्य पर
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सेल्यूकस ने एक राजदूत भी भेजा एक चन्द्रगुप्त के पास जिसका नाम मेगस्थनिज था जिसने इंडिका की रचना की थी मेगस्थनिज भारत में 304 ईपू.से 299 ई. पू. तक रहा
चन्द्रगुप्त की मुख्य बातें इंडिका के अनुसार :-
चन्द्रगुप्त के चारों और सशास्त्र महिलायें रहती थी जिन्हें अंगरक्षक कहा जाता था
प्रशासन => जिसमे 6 समितियां थी
सैन्य => इसमें भी 6 समितियां थी
राजस्व => 1/4 (यहाँ ध्यान दें चाणक्य के अनुसार यहाँ राजस्व 1/6 था लेकिन इंडिका के अनुसार 1/4)
सोने की खान =>जो दर्दिश्त्म कश्मीर में थी
उत्तरापथ का वर्णन => उत्तरापथ का मतलब सिंध और बंगाल के सोनारगाँव को आपस में जोड़ने के लिए एक मार्ग (सडक ) बनवाया था चन्द्रगुप्त ने बाद में इस सडक को मध्यकाल में शेरशाह सूरी ने पक्की बनवाई और नाम रखा शेरशाह सूरी मार्ग फिर इसी सडक को ब्रिटिश गवर्नल जनरल औकलेन्ड ले 1836 से 1842 के दौरान नाम बदलकर G.T road रख दिया था
तो यह था मौर्य साम्राज्य का चन्द्रगुप्त का इतिहास अगले भाग में बिन्दुसार और अशोक के इतिहास के साथ मौर्य वंश पूरा करेंगे